तितरम मोड़ क्या है?

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सम्भव(SAMBHAV - Social Action for Mobilisation & Betterment of Human through Audio-Visuals) सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों को समर्पित मंच है. हमारा विश्वास है कि जन-सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर जन-भागीदारी सुनिश्चित करके समाज को आगे ले जाना मुमकिन है.

बुधवार, सितंबर 29, 2010

भगत सिंह जन्म दिवस

'सौ सौ पड़ें मुसीबत बेटा उम्र जवान मैं
भगत सिंह कदे जी घबरा जा बंद मकान मैं'

ग्रामीण महिला संतरो ने ग्रामवासियों के सामने मंच पर खड़े होकर यह रागिनी गाई तो पांच छह सौ लोगों की भीड़ वाह वाह कर उठी. मौका था भगत सिंह के जन्म दिन पर तितरम गांव के पुस्तकालय के प्रांगण मैं सत्ताईस और अठाईस सितम्बर की मध्य रात्रि को भगत सिंह के जन्मदिवस के आयोजन का. आठ बजे रात को शुरू हुआ कार्यक्रम खतम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. एक के बाद एक रागनी, भगत सिंह के जीवन को लक्ष्य करते हुए.

रामधारी खटकर और राजेश दलाल की जुगलबंदी ने ऐसा समां बंधा कि दर्शक मंत्रमुग्ध हो कर देर रात तक भगत सिंह के किस्से सुनते रहे. कार्यक्रम में ग्रामीण महिलाओं की विशाल उपस्थिति ने न सिर्फ कलाकारों अपितु आयोजकों को भी हैरानी मैं डाल दिया. अचरज तो तब हुआ जब एक महिला ने उठ कर राजेश को उसकी भ्रूण-हत्या पर लिखी प्रसिद्ध हरियाणवी कविता सुनाने की फरमाइश की.

ओनर-किलिंग और घटते लिंग अनुपात के बीच झूलते हरियाणा में ऐसे कार्यक्रम भी चमकते हैं तारों की तरह और उम्मीद बंधाते हैं.