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मंगलवार, सितंबर 04, 2012

आओ कसाब को फांसी दें - अंशु मालवीय


आओ कसाब को फांसी दें !
उसे चौराहे पर फांसी दें !
बल्कि उसे उस चौराहे पर फांसी दें
जिस पर फ्लड लाईट लगाकर
विधर्मी औरतों से बलात्कार किया गया

गाजे-बाजे के साथ
कैमरे और करतबों के साथ
लोकतंत्र की जय बोलते हुए
उसे उस पेड़ की डाल पर फांसी दें
जिस पर कुछ देर पहले खुदकुशी कर रहा था किसान

उसे पोखरन में फांसी दें
और मरने से पहले उसके मुंह पर
एक मुट्ठी रेडियोएक्टिव धूल मल दें
उसे जादूगोड़ा में फांसी दें
उसे अबूझमाड़ में फांसी दें
उसे बाटला हाउस में फांसी दें
उसे फांसी दें.........कश्मीर में
गुमशुदा नौजवानों की कब्रों पर
उसे एफ.सी.आई. के गोदाम में फांसी दें
उसे कोयले की खदान में फांसी दें.

आओ कसाब को फांसी दें !!
उसे खैरलांजी में फांसी दें
उसे मानेसर में फांसी दें
उसे बाबरी मस्जिद के खंडहरों पर फांसी दें
जिससे मजबूत हो हमारी धर्मनिरपेक्षता
कानून का राज कायम हो
उसे सरहद पर फांसी दें
ताकि तर्पण मिल सके बंटवारे के भटकते प्रेत को
उसे खदेड़ते जाएँ माँ की कोख तक......और पूछें
जमीनों को चबाते, नस्लों को लीलते
अजीयत देने की कोठरी जैसे इन मुल्कों में
क्यों भटकता था बेटा तेरा
किस घाव का लहू चाटने ....
जाने किस ज़माने से बहतें हैं
बेकारी, बीमारी और बदनसीबी के घाव.....
सरहद की औलादों को ऐसे ही मरना होगा
चलो उसे रा और आई.एस.आई. के दफ्तरों पर फांसी दें


आओ कसाब को फांसी दें !!
यहाँ न्याय एक सामूहिकहिस्टीरिया है
आओ कसाब की फांसी को राष्ट्रीय उत्सव बना दें
निकालें प्रभातफेरियां
शस्त्र-पूजा करें
युद्धोन्माद,
राष्ट्रोंन्माद
हर्षोन्माद
गर मिल जाए कोई पेप्सी-कोक जैसा प्रायोजक
तो राष्ट्रगान की प्रतियोगिताएं आयोजित करें
कंगलों को बाँटें भारतमाता की मूर्तियां 

तैयारी करो कम्बख्तो ! फांसी की तैयारी करो !
इस एक फांसी से
कितने मसले होने हैं हल
निवेशकों में भरोसा जगना है
सेंसेक्स को उछलना है
ग्रोथ रेट को पहुँच जाना है दो अंको में
कितने काम बाकी हैं अभी
पंचवर्षीय योजना बनानी है
पढनी है विश्व बैंक की रपटें
करना है अमरीका के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास
हथियारों का बजट बढ़ाना है...

आओ कसाब को फांसी दें !
उसे गांधी की समाधि पर फांसी दें
इस एक काम से मिट जायेंगे हमारे कितने गुनाह
हे राम !  हे राम  !   हे राम !

-अंशु मालवीय
ए-111 मेंहदौरी कालोनी, तेलियरगंज, इलाहाबाद. मो. 9415812917