तितरम मोड़ क्या है?

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सम्भव(SAMBHAV - Social Action for Mobilisation & Betterment of Human through Audio-Visuals) सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों को समर्पित मंच है. हमारा विश्वास है कि जन-सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर जन-भागीदारी सुनिश्चित करके समाज को आगे ले जाना मुमकिन है.

शुक्रवार, दिसंबर 09, 2011

"वा घी कोनी खा थी"

एक बै जब भरतू का चौथा ब्याह हो रहया था, तै गाम आळे बूझण लागे - "अरै भरतू, न्यूं क्यूकर रै, तेरी बाकी तीन लुगाइयां कै के होया? वे क्यूकर मर-गी ?"
भरतू बोल्या - भाई, पहली तै घी खा-कै मर-गी, अर दूसरी भी घी खा-कै मर-गी ।
लोग बोले - अर तीसरी क्यूकर मरी?
भरतू बोल्या - भाई, तीसरी का तै सिर फूट-ग्या था ।
गाम आळे बोले - उसका सिर क्यूं फूट्या ?
भरतू नै जवाब दिया - "अरै यार, वा घी कोनी खा थी" !!