हरियाणा में खाप की पगड़ियों को अक्सर अपने सम्मान को खतरा नज़र आने लगता है जब कोई युवक-युवती रूढीगत परम्पराओं को ठेंगा दिखाते हुए अपने तरीके से विवाह करता है, ये पगडियां शर्म से क्यों नहीं झुकती जब लड़कियां भैसों से कम दाम पर दूसरे प्रदेशों से वंशवृद्धि के लिए लाई जा रही हैं, लड़के को ब्याहने के लिए अदला-बदली में लड़कियों को बेमेल विवाह के नरक में झोंका जाता है, हर गांव में दर्जनों कुंवारे लड़कों की भीड़ इन्हें क्यों नहीं नज़र आती जिन्हें घटते लिंग अनुपात, कम होती जोत, और गोत्र परम्परा के चलते एकाकी जीवन जीना पड़ता है. कुर्बान मगर औरत को ही होना है पगड़ियों की सलामती का मसला जो है..........
हम कुछ कर नहीं पा रहें हैं साथी.........खुश रहना