आज पुस्तकालय में एक सवाल गेंद की तरह सामने आया. क्या भारत एक महाशक्ति है ? एक गांव के साथी ने पूछा था. मुझे वर्मा जी की कुछ बातें याद आईं, मैंने अपने तर्क भी कुछ उसी तर्ज पर दिए..
क्या उस पहलवान को महान कहा जायेगा जिसके बीवी बच्चे भूखे मर रहें हों. सारे परिवार का जिन्दा रहना अधिक जरूरी है या कि व्यक्ति का पहलवान बनना? अगर परिवार का एक व्यक्ति औरों को भूखा रखने की कीमत पर भी खुद को पहलवान बनाने का निर्णय लेता है तो उसके जीवन-मूल्य और मान्यताओं को क्या कहा जाएगा?
भारत में सरकारी गोदामों में अनाज सड़ रहा है और लोग भूखों मर रहे हैं. भारत आर्थिक मंदी के दौर में भी तेजी से विकास कर रहा है और किसान आत्महत्या कर रहें हैं. भारत का भारी औद्योगीकरण हो रहा है पर बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है.भारत ७०००० करोड़ खर्च करके कामन-वेल्थ गेम्स करवाता है और भारत के अधिकांश स्कूलों मैं खेल का मैदान तक नहीं है. भारत में दुनिया के कुछ सबसे अमीर लोग रहते हैं पर दुनिया के सबसे अधिक गरीब भी. भारत के पास परमाणू बम है पर कुछ आतंकवादी बिना रोक-टोक मुंबई के ताजमहल होटल में घुस आतें हैं और भारत की सुरक्षा-व्यवस्था को मजाक बना देते हैं. भारत आर्थिक विकास दर में सबसे अगड़ों में है और मानवीय विकास दर में सबसे पिछडों में. आदि, आदि....क्या ऐसा देश महाशक्ति बन सकता है .
सोवियत यूनियन दुनिया की महाशक्ति था - अमरीका की सामरिक शक्ति को टक्कर देता हुआ. पर वहां की जनता असंतुष्ट थी. बिना किसी बाहरी आक्रमण के ऐसी महाशक्ति अंदर से टूट कर बिखर गई.
वास्तव में किसी देश की वास्तविक शक्ति होती है उसकी जनता. एक संतुष्ट, विकासमान और न्यायसंगत समाज ही वास्तव में शक्तिशाली हो सकता है. शक्ति का प्रतिमान विध्वंस नहीं सृजन होना चाहिए.
वो कन्विंस नहीं हुआ. आप क्या कहते है?
तितरम मोड़ यूँ तो हरियाणा के एक हाइवे पर स्थित एक सामान्य तिराहा है-एक टी-प्वायंट, जहाँ से एक रास्ता राज्य की राजधानी को, एक दिल्ली को और तीसरा अन्य शहरों, कस्बों को जाता है.. यहाँ चौबीसों घंटे आम-आदमी बस या किसी और साधन की प्रतीक्षा करते और बीच-बीच में हूटर बजाती दनादन गुजरती गाड़ियों को तकता देखा जा सकता है. उसी आम आदमी की उम्मीदों को समर्पित है यह ब्लॉग. इसके निकट है 'सम्भव' द्वारा स्थापित प्रेमचंद पुस्तकालय और एक केन्द्र.वहीँ से ये ब्लॉग भी चलता है.
तितरम मोड़ क्या है?
- कुमार मुकेश
- सम्भव(SAMBHAV - Social Action for Mobilisation & Betterment of Human through Audio-Visuals) सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों को समर्पित मंच है. हमारा विश्वास है कि जन-सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर जन-भागीदारी सुनिश्चित करके समाज को आगे ले जाना मुमकिन है.