तितरम मोड़ क्या है?

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सम्भव(SAMBHAV - Social Action for Mobilisation & Betterment of Human through Audio-Visuals) सामाजिक एवं सांस्कृतिक सरोकारों को समर्पित मंच है. हमारा विश्वास है कि जन-सरोकारों से जुड़े मुद्दों पर जन-भागीदारी सुनिश्चित करके समाज को आगे ले जाना मुमकिन है.

रविवार, नवंबर 28, 2010

बेटियों की शिक्षा के लिए छोले-कचोरी और खीर बेचकर जुटाया धन

Source: अमरजीत सिंह मधोक   |   Last Updated 04:17(29/11/10)
 
 
 
 
 
 

कैथल. वैसे तो बहुत सारे मां बाप किसी न किसी तरह अपनी बेटियों की शिक्षा के लिए धन जुटाते हैं लेकिन एक संस्था के छोले-कचौरी, कॉफी और खीर बेचकर ग्रामीण लड़कियों के लिए धन जुटाने की बात पढ़कर आपको थोड़ा अटपटा लग सकता है। ‘सम्भव’ नामक एक एनजीओ ने रविवार को शहर के पॉश इलाके सेक्टर 19 के पार्क में सुबह लोगों को ब्रेकफास्ट करवा कर सात हजार रुपए जुटाए।

इस राशि का प्रयोग ऐसी ग्रामीण लड़कियों की हायर एजुकेशन को जारी करवाने पर खर्च किया जाएगा जो आर्थिक कारणों से पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हुई। संस्था के सदस्यों में शामिल नवोदय विद्यालय के शिक्षकों और कई अन्य विभागीय कर्मियों ने स्वयं यहां नाश्ता बनाया और सस्ते दाम पर लोगों को खिलाया। लोगों ने भी इसमें उत्साह से भाग लिया।

एनजीओ के निदेशक कुमार मुकेश और सचिव गुरप्रीत कौर ने बताया कि गांव तितरम में 18 ऐसी लड़कियों को चिन्हित किया गया है जो प्लस टू के बाद पढ़ाई जारी करने में समर्थ नहीं थी। इन सभी को केयू से बीए प्रथम वर्ष में दाखिला दिलाकर गांव में ही उनकी पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। प्रेमचंद पुस्तकालय में संस्था के सदस्य पढ़ाई भी करवाते हैं। उन्होंने कहा कि सम्भव एनजीओ की ओर से गांव तितरम में स्थापित ग्राम सशक्तिकरण केंद्र ने ऐसी लड़कियों में शिक्षा के प्रति जागरुकता पैदा करने के उद्देश्य से यह पहल की है।

हर सप्ताह आयोजित होंगे कार्यक्रम

संस्था के निदेशक कुमार कहा कि आज से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है जो भविष्य में हर सप्ताह कहीं न कहीं आयोजित किया जाएगा और गांवों में भी ऐसी लड़कियों को आगे पढ़ने को प्रोत्साहित किया जाएगा। लड़की की पढ़ाई को बोझ मानने वाले पेरेंट्स में जागरुकता आएगी। बिना कन्या की पढ़ाई के शिक्षा के सामाजिक परिवर्तन को नहीं लाया जा सकता। शिक्षा ही सामाजिक परिवर्तन की पहली सीढ़ी है।नाश्ते के व्यंजनों के साथ पुस्तक और पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई। इस अवसर पर रामफल, ओमप्रकाश, सोनिया,आशु वर्मा, कान्ता कुंडु आदि मौजूद रहे।



 

शुक्रवार, नवंबर 26, 2010

ब्रेकफास्ट फॉर गर्ल्स एजुकेशन

'ब्रेकफास्ट फॉर गर्ल्स एजुकेशन' यह नाम है तितरम गांव में 'संभव' संस्था द्वारा स्थापित 'ग्राम सशक्तीकरण केंद्र' द्वारा शुरू किये जा रहे अभियान का. इस अभियान का उद्देश्य उन लड़कियों की पढाई का खर्च एकत्र करना है जिनकी पढाई आर्थिक अथवा अन्य कारणों से बीच में ही छूट गई.  इस अभियान के तहत लड़कियों की पढाई का खर्च दान अथवा अनुदान पर आश्रित न होकर सामूहिक प्रयास से एकत्रित किये जाने का फैसला किया गया.

इसके तहत दिनांक 28-11-2010 को केंद्र द्वारा कैथल के सेक्टर 19 व 20 में नाश्ते का स्टाल लगाया जाएगा एवं साथ ही एक पुस्तक प्रदर्शनी लगाई जायेगी और उससे एकत्रित राशि को लड़कियों की पढाई पर खर्च किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि एक सर्वेक्षण के पश्चात ग्राम तितरम की उन लड़कियों को चिन्हित किया गया जो बारहवीं के पश्चात किन्ही कारणों से उच्च शिक्षा के लिए नहीं जा सकी.  इन लड़कियों के लिए केंद्र द्वारा स्थापित पुस्तकालय में कक्षाएं लगाना, अध्यापकों और पठन सामग्री की व्यवस्था करना इस कार्यक्रम का मुख्या हिस्सा है.

प्रत्येक रविवार एवं अन्य किसी विशिष्ट दिवस पर ब्रेकफास्ट अभियान या अन्य कार्यक्रमों द्वारा न केवल लड़कियों की शिक्षा का व्यय निकालना बल्कि उनकी शिक्षा के महत्व और ज़रूरत को रेखांकित करना है.  साथ ही इस अभियान के तहत बुद्धिजीवियों और आम नागरिकों से संवाद स्थापित करना और इस तथ्य से अवगत कराना कि देश के न्यूनतम कन्या दर एवं न्यूनतम कन्या शिक्षा वाले जिलों में शामिल कैथल में कन्या शिक्षा की अलख जगाए बिना सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन का लक्ष्य हासिल करना नामुमकिन है.  शिक्षा में कमी का एक बड़ा कारण लड़कियों के प्रति पिछड़े एवं मध्यकालीन मूल्य हैं.  इन मूल्यों को बिना बदले कन्या शिक्षा की दर को भी नहीं बढ़ाया जा सकता.  इस अभियान में इन दोनों उद्देश्यों को पूरा करने का प्रयास किया जाएगा.


इसी कार्यक्रम के तहत गत दिवस गांव की ही संगीत मंडली द्वारा गांव में एक संगीत संध्या का आयोजन किया गया. समस्त गांव ने इसमें बढ़ चढ कर हिस्सा लिया.  कार्यक्रम का संयोजन रामफल मालिक और डा. आशु वर्मा ने किया.  केन्द्र ने इस कार्यक्रम से एकत्र राशि को भी लड़कियों की शिक्षा पर व्यय करने का निर्णय किया.